Jul 15, 2011

एक कविता कर ले रे मन


क्यों दर्द को इतना मन में भरने लगते है हम
क्यों ना इक कविता करके उसे बहने दें हरदम,
उस दर्द का एहसास भी बस प्यार के जैसा ही है
उस प्यार के एहसास को क्यों घुट-घुट के मरने देते हैं हम ?

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तेरी ख़ुशी में होके शामिल हर जाम पिया महफ़िल में . .
तुझे हंस के अलविदा कहा तो क्या दर्द नहीं था दिल में?
फिर भी तेरी याद में अक्सर खुद को खो लेते हैं
कोई रोता हमे न देखे, सो बारिश में रो लेते हैं . . .

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