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कुछ चाँद सितारों की, कुछ सुबह के सूरज सी
कुछ आँख मिचोली करती वह हवा जो पूरब की ...
कुछ नील गगन सा जल, कुछ प्रेम सा शीतल फल,
कुछ लोहे के पत्तों सा, ईटों का यह जंगल.
ख्याल तू मीठा सा, या झूठ है अच्छा सा
तेरे मृगनयनों से मेरे मन का तार है सच्चा सा
तू सुबह की ठंडी ओस है या रात की बारिश है
तू उड़ के हवा ना बन जाना यह मेरी गुजारिश है ....
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