Oct 29, 2011

तू बन लहरों का जादूगर

क्या ग़म है के अरमान दोस्त बुझे रहते हैं अब तेरे
क्यों खुश्क रात का इंतज़ार तू करता है हर सवेरे
उठा खुद को, जगा वो आग, वो बदमस्त चिंगारी
के जीने का मज़ा तो काहिल कभी भी ले नहीं सकते
जो मौज की मस्ती समंदर की है लहरों मैं
उस मज़ा तो लाख साहिल भी दे नहीं सकते

Aug 22, 2011

टॉम एंड जैरी

जैरी ने कहा टॉम से तू क्यों है मेरे पीछे पड़ा
तेरा मेरा जन्मो से कैसे है यह झगड़ा
मैं हु एकदम नन्हा सा, और तू है इतना बड़ा
क्यों खाया नहीं तूने मुझे अबतक, चाहे लाखों बार पकड़ा

पूरा दिन घर में हम बर्तन भांडे फ़ोड़ते हैं
सोफा फर्नीचर टीवी जाने क्या क्या तोड़ते हैं
फायदा है कम नुक्सान है बड़ा
जेरी ने कहा टॉम से तू क्यों है मेरे पीछे पड़ा

 टॉम ने कहा प्रिये जैरी, तू खेल है मेरा
तुझसे दिन शुरू और ख़त्म है मेरा

बर्तन वर्तन तोड़ने में साला अपना क्या जाता है
कार्टून में ही है न, सब अपने आप जुड़ जाता है

तुझे सताए बिना मुझे चैन होता नहीं है
तेरा पीछा किये बिना खाना हजम होता नहीं है

कैसे खा जाऊ तुझे तू तो यार है मेरा
तेरे पीछे भागने में ही संसार है मेरा

Jul 15, 2011

एक कविता कर ले रे मन


क्यों दर्द को इतना मन में भरने लगते है हम
क्यों ना इक कविता करके उसे बहने दें हरदम,
उस दर्द का एहसास भी बस प्यार के जैसा ही है
उस प्यार के एहसास को क्यों घुट-घुट के मरने देते हैं हम ?

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तेरी ख़ुशी में होके शामिल हर जाम पिया महफ़िल में . .
तुझे हंस के अलविदा कहा तो क्या दर्द नहीं था दिल में?
फिर भी तेरी याद में अक्सर खुद को खो लेते हैं
कोई रोता हमे न देखे, सो बारिश में रो लेते हैं . . .

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