Jun 20, 2015

पहचान

तेरा मुझे यूँ प्यार से सुबह जगाना
काम के समय अपने हाथों से खाना खिलाना
नित नए व्यंजन सीखना और बनाना
और मुझे खाते देख मंद मंद मुस्कुराना
तेरे प्यार की हदों से अनजान हूँ मैं
तू मेरी पहचान और तेरी पहचान हूँ मैं

तेरा शोनू-शोनू कह के मुझे बुलाना
थके होने पर भी अपनी मुस्कान से मुझे हँसाना
खुशी या डर में मुझसे बस लिपट जाना
और मेरी बाहों में सुकून से खो जाना
तेरी धरती को ढकता आसमान हूँ मैं
तू मेरी पहचान और तेरी पहचान हूँ मैं

तू मेरी पुस्तक और उस पुस्तक का ज्ञान हूँ मैं
तुझ बिन एक आधा-अधूरा इंसान हूँ मैं
गर इंसान का वजूद बस पहचान है तो
तू मेरी पहचान और तेरी पहचान हूँ मैं

Apr 11, 2013

सपनो के मकाम अब डह ही गए

सपनो के मकाम अब डह ही गए,
क्यों इश्क किया उन सपनो से
तन्हाई से भी तनहा हो गए तो
क्या गिला करे अब अपनों से

जो बीत गयी सो बात गयी
कहते हैं जो अपना कहते हैं
जान के भी न जान पाए हमें
जो दिल से अपना कहते हैं ....

Jan 16, 2013

One life


Slowly the life flows from one moment to the other
from one set of pyre to another child cry
with every breath touching us deep inside ...

flows beyond the time, beneath our practicality's crust
finally it's all ashes to ashes, dust to dust ...

Dec 24, 2012

Companionship





Guy came on bike
and girl smiled at him
he was having a bag
he took the back and put it in front so that she could sit behind him
she smiled and sat on the bike
they kinda had a small hi-fi
the smiles on their faces were like as if they had met after a long time
curious
nervous
raring to talk
and then they went away

How quaint, yet true, companionship is...

Apr 2, 2012

Peculiarity


A heap of blurred images,

ever suitable to the last breath,

beyond the paranormal expanse

of the human peculiarity called life...

Oct 29, 2011

तू बन लहरों का जादूगर

क्या ग़म है के अरमान दोस्त बुझे रहते हैं अब तेरे
क्यों खुश्क रात का इंतज़ार तू करता है हर सवेरे
उठा खुद को, जगा वो आग, वो बदमस्त चिंगारी
के जीने का मज़ा तो काहिल कभी भी ले नहीं सकते
जो मौज की मस्ती समंदर की है लहरों मैं
उस मज़ा तो लाख साहिल भी दे नहीं सकते

Aug 22, 2011

टॉम एंड जैरी

जैरी ने कहा टॉम से तू क्यों है मेरे पीछे पड़ा
तेरा मेरा जन्मो से कैसे है यह झगड़ा
मैं हु एकदम नन्हा सा, और तू है इतना बड़ा
क्यों खाया नहीं तूने मुझे अबतक, चाहे लाखों बार पकड़ा

पूरा दिन घर में हम बर्तन भांडे फ़ोड़ते हैं
सोफा फर्नीचर टीवी जाने क्या क्या तोड़ते हैं
फायदा है कम नुक्सान है बड़ा
जेरी ने कहा टॉम से तू क्यों है मेरे पीछे पड़ा

 टॉम ने कहा प्रिये जैरी, तू खेल है मेरा
तुझसे दिन शुरू और ख़त्म है मेरा

बर्तन वर्तन तोड़ने में साला अपना क्या जाता है
कार्टून में ही है न, सब अपने आप जुड़ जाता है

तुझे सताए बिना मुझे चैन होता नहीं है
तेरा पीछा किये बिना खाना हजम होता नहीं है

कैसे खा जाऊ तुझे तू तो यार है मेरा
तेरे पीछे भागने में ही संसार है मेरा
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